Best Munawwar Rana Shayari | मुनव्वर राणा की मशहूर शायरी | 2 Lines Shayari
Munawwar Rana Shayari: मशहूर शायर और साहित्यकार मुनव्वर राणा एक बेहद जाना पहचाना नाम है, जिन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है.
दोस्तों आज यहाँ हम उन्ही के कुछ मशहूर शायरी का संग्रह Best Munawwar Rana Shayari पेश कर रहें है, जो हिंदी और इंग्लिश दोनों ही फोंट्स में है, और जिसे आप अपने मित्रों और परिजनों के साथ शेयर कर सकते हैं. उम्मीद है आप सभी को ये संग्रह बहुत पसंद आएगा.
Best Munawwar Rana Shayari
हम तो उसको देखने आये थे इतनी दूर से
वो समझता था हमें मेला बहुत अच्छा लगा
Hum toh usko dekhne aae
the itni door se
Woh samjhta tha humein mela
bahut achchha laga
तुझ से नहीं मिलने का इरादा तो है लेकिन
तुझ से न मिलेंगे ये कसम भीं नही खाते
Tujh se nahin milne ka irada toh hai
Tuj se na milenge ye
kasam bhi nahin khate
munawwar rana 2 line shayari
आ कहीं मिलते हैं हम, ताकि बहारें आ जाएं
इससे पहले कि ताल्लुक में दरारें आ जाएं
Aa kahin milte hain hum,taki
baharen aa jaen
Is sey pahle ki talluk
mein dararen aa jaen
अब दोस्त कोई लाओ मुकाबिल में हमारे
दुश्मन तो कोई क़द के बराबर नहीं निकला
Ab dost koi lao muqabil men humare
Dushman toh koi
kad ke barabar nhin nikla
अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो
तुम मुझे खवाबों में आकर न परेशान करो
Ab judai ke safar ko mere aasan karo
Tum mujhe khwabon
mein aakar na pareshan karo
अब आप की मर्ज़ी है सँभालें न सँभालें
ख़ुशबू की तरह आप के रूमाल में हम हैं
Ab aap ki marzi hai smbhale na smbhale
Khushbu ki tarah
aap ke rumal mein hum hai
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए
Apni yaadon se kaho ik din ki
chhutti de mujhe
Ishq ke hisse men bhi itwar hona chahiye
गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना
आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले
Gar kabhi rona hi pad jaye to
itna rona Aa ke barsat tire samne
touba kar le
तेरी महफ़िल से अगर हम ना निकले जाते
हम तो मर जाते मगर तुझको बचा ले जाते
Teri mehfil se agar hum na
nikal jaate
Hum toh mar jaate magar
tujhko bacha le jaate
हमारे कुछ गुनाहो की सजा भी साथ चलती है
हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
Humare kuchh gunaaho ki saza
bhi saath chalti hai
Ab hum tanha nahin chalte dawa
bhi saath chalti hai
भुला पाना बहुत मुश्किल है
सब कुछ याद रहता है,
मोहब्बत करने वाला इसलिए बर्बाद रहता है.
Bhula pana bahut mushhqil hai
sab kuchh yaad rahta hai,
Mohabbat karne wala isliye
barbaad rahta hai.
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
बच्चों ने खिलौनों की तरफ़ देख लिया था
Daulat se mohabbat to nahin thi mujhe
Bachchon ne khilouno ki taraf dekh liya tha
हंस के मिलता है मगर काफी थकी लगती है,
उसकी आंखें कई सदियों की जगी लगती है.
Hans ke milta hai magar kafi thaki
lagti hai,Uski aankhen
kai sadiyon ki jagi lagti hai.
उनके होठों से मेरे हक़ में दुआ निकली,
जब मरज़ फैल चुका है तो दवा निकली.
एक ही झटके में ये हो गई टुकड़े टुकड़े,
कितनी कमज़ोर यह ज़ंजीरे वफ़ा निकली.
Unke hontho se mere
hak mein dua nikli,
Jab maraz fail chuka hai toh dawa nikli.
Ek hi jhatke mein ye ho gai tukde tukde,
Kitni kamjor ye zanzeere wafa nikli.
ये सोच कर कि तिरा इंतिज़ार लाज़िम है
तमाम उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा
Ye soch kar tira intezar lazimi hai
Tamam umar ghari ki taraf nahin dekha
जहाँ से जी ना लगे, तुम वहीं बिछड़ जाना
मगर ख़ुदा के लिए बेवफ़ाई ना करना
Jahan se jee nalage,tum wahin
se bichhar jana
Magar khuda ke liye bewafai na karna
हम नहीं थे तो क्या कमी थी यहाँ
हम न होंगे तो क्या कमी होगी
Hum nahin the toh kya kami thi yahan
Hum na honge toh kya kami hogi
गिले-शिकवे ज़रूरी हैं अगर सच्ची मोहब्बत है
जहाँ पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती है
Gile-shikve jaruri hai
agar sacchi mohabbat hai
Jahan paani bahut gahra ho
thodi kai rahti hai
हर चेहरे में आता है नज़र एक ही चेहरा
लगता है कोई मेरी नज़र बाँधे हुए है
Har chehre mein aata hai nazar
ek hi chehra
Lagta hai koi meri nazar bandhe
hue hai
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी
Barson se iss makan mein
rahte hain chand log
Ik dusre ke saath wafa ke bagair bhi
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा
Kabhi khushi se khushi ki
taraf nahin dekha
Tumhare baad kisi ki taraf
nahin dekha
तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं
Tumhe bhi neend si aane lagi hai
thak gayen hain hub bhi
Chalo ye kissa aaj adhura chhod
dete hain
किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए
तुम्हारा शहर से जाना मिरा बीमार हो जाना
Kisi din meri ruswai ka ye karan
na ban jaye
Tumhara shahar se jana mera
Beemar ho jana
मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले
मिट्टी को कहीं ताज-महल में नहीं रक्खा
Mittika badan kar diya mitti ke hawale
mitti ko kahi Taj-mahal mein nahin rakha
सहरा पे बुरा वक़्त मिरे यार पड़ा है
दीवाना कई रोज़ से बीमार पड़ा है
Sahra pe bura waqt mire yaar pada hai
Deewana kai roj se beemar pada hai
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
So jaate hain futpath pe akhbar bichhakar
Majdoor kabhi neend ki goli nahin khate
झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है
Jhuk ke milte hain bujurgon
se humare bacche
Phool par bagh ki mitti ka asar
hota hai
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
Aap ko chehre se bhi beemar
hona chahiye
Ishq hai toh ishq ka izhar hona chahiye
ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से मैं शर्मिंदा बहुत हूँ
महँगाई के मौसम में ये त्यौहार पड़ा है
हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुंचता है
परिन्दा कोई मौसम हो ठिकाने तक पहुंचता है
घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं
लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं
बदन चुरा के न चल ऐ कयामते गुजरां
किसी-किसी को तो हम आंख उठा के देखते हैं
हम सब की जो दुआ थी उसे सुन लिया गया
फूलों की तरह आप को भी चुन लिया गया
बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है
जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
कोई दुख हो, कभी कहना नहीं पड़ता उससे
वो जरूरत हो तलबगार से पहचानता है
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
यह एहतराम तो करना ज़रूर पड़ता है
जो तू ख़रीदे तो बिकना ज़रूर पड़ता है
मौत का आना तो तय है मौत आयेगी मगर
आपके आने से थोड़ी ज़िन्दगी बढ़ जायेगी
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
भले लगते हैं स्कूलों की यूनिफार्म में बच्चे
कँवल के फूल से जैसे भरा तालाब रहता है
वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है
तलवार की नियाम कभी फेंकना नहीं
मुमकिन है दुश्मनों को डराने के काम आए
मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन
मुस्तक़िल ज़ख़्म का रहना भी बुरा होता है
मिरी हथेली पे होंटों से ऐसी मोहर लगा
कि उम्र भर के लिए मैं भी सुर्ख़-रू हो जाऊँ
जितने बिखरे हुए काग़ज़ हैं वो यकजा कर ले
रात चुपके से कहा आ के हवा ने हम से
वैसे ये बात बताने की नहीं है लेकिन
हम तेरे इश्क़ में बरबाद हैं हाँ कहते हैं
हम पे जो बीत चुकी है वो कहाँ लिक्खा है
हम पे जो बीत रही है वो कहाँ कहते हैं
सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
मौला ये तमन्ना है कि जब जान से जाऊँ
जिस शान से आया हूँ उसी शान से जाऊँ
नहीं होती अगर बारिश तो पत्थर हो गए होते
ये सारे लहलहाते खेत बंजर हो गए होते
आपने खुल के मुहब्बत नहीं की है हमसे
आप भाई नहीं कहते हैं मियाँ कहते हैं
मैं इसी मिट्टी से उट्ठा था बगूले की तरह
और फिर इक दिन इसी मिट्टी में मिट्टी मिल गई
तुम ने जब शहर को जंगल में बदल डाला है
फिर तो अब क़ैस को जंगल से निकल आने दो
ये मादरे वतन है, मेरा मादरे वतन
इस पर कभी ज़वाल न आए ख़ुदा करे
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप
शहर वालों से हमारी दुशमनी बढ़ जायेगी
आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी
सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया
तेरे दामन से सारे शहर को सैलाब से रोका
नहीं तो मेरे ये आँसू समन्दर हो गए होते
तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था
तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक न रहे
मैं चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे
अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
कोई दुख हो, कभी कहना नहीं पड़ता उससे
वो जरूरत हो तलबगार से पहचानता है
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