Raksha Bandhan Poem: मित्रों रक्षा बंधन भाई बहन के पवित्र बंधन का त्यौहार है जो भारत में मनाया जाता है यहाँ पर हम आपके लिए कुछ बेहतरीन और लाजवाब रक्षा बंधन कविता का संग्रह “Best Raksha Bandhan Poem in Hindi” लेकर आएं है जिसे आप आपने भाई,बहन मित्रों और परिजनों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं उम्मीद है आप सभी को ये संग्रह बहुत पसंद आएगा.
Raksha Bandhan Poem राखी आयी खुशियां लायी
राखी आयी खुशियां लायी
बहन आज फूलें न समाई
रखी, रोली और मिठाई
इन सब से थाली खूब सजाई !
बांधे भाई के कलाई पे धागा
भाई से लेती हैं वादा
रखी की लाज भैया निभाना
बहन को कभी भूल न जाना !
भाई देता बहन को वचन
दुःख उसके सब कर लेंगा हरन
भाई बहन का प्यार हैं
त्यौहार रखी का न्यारा हैं !
राखी बांधत जसोदा मैया
राखी बांधत जसोदा मैया
राखी बांधत जसोदा मैया ।
विविध सिंगार किये पटभूषण,
पुनि पुनि लेत बलैया ॥
हाथन लीये थार मुदित मन,
कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।
तिलक करत आरती उतारत
अति हरख हरख मन भैया ॥
बदन चूमि चुचकारत अतिहि
भरि भरि धरे पकवान मिठैया ।
नाना भांत भोग आगे धर,
कहत लेहु दोउ मैया॥
नरनारी सब आय मिली
तहां निरखत नंद ललैया ।
सूरदास गिरिधर चिर जीयो
गोकुल बजत बधैया ॥
हर सावन में आती राखी,
हर सावन में आती राखी,
बहना से मिलवाती राखी…
चाँद सितारों की चमकीली,
कलाई को कर जाती राखी…
जो भूले से भी ना भूले,
मनभावन क्षण लाती राखी,
अटूट-प्रेम का भाव धागे से
हर घर में बिखराती राखी…
सारे जग की मूल्यवान
चीजों से बढकर भाती राखी.
सदा बहन की रक्षा करना,
भाई को बतलाती राखी!!
रक्षा बंधन का ये है डोर
रक्षा बंधन का ये है डोर
पवित्र, पावन और बेजोड़
ये ऐसा त्यौहार अनोखा
जैसे हो सावन का पहला झोंका
दुआ से बहन की और मिठाई
सजती है भाई की कलाई
लम्बी दूरी करती सहन
निकले राखी लेकर के बहन
इस दिन बहना बांधे राखी
भाई की उम्र हो लम्बी ताकी
इस दिन लेते है भाई शपथ
हो बहन की रक्षा शत प्रतिशत
रक्षा बंधन का ये है डोर
पवित्र, पावन और बेजोड़!
राखियां बहनों की शुभ सौगात है
राखियां बहनों की शुभ सौगात है
राखियां भाई को आर्शीवाद है
बांधती जब भाइयों के हाथों पर
बहनों को होता अनूठा नाज है
स्नेह के अनसुने सुरीले गीतों पर
राखी बजता अलंकृत साज है
जब से बहने इस घर से परायी हो गई,
जब से बहने इस घर से परायी हो गई,
राखी के त्योहार की भी जैसे विदाई हो गई !
रग-बिरगे धागो से इस दिन सजे रहते थे हाथ,
वो वक़्त भी क्या हसी था जो गुजरा बहनो के साथ,
पर ऐ खुदा तुझसे ये कैसी खुदाई हो गई
समय गुजरता रहा और सूनी कलाई हो गई !
जब से बहने इस घर से परायी हो गई,
राखी के त्योहार की भी जैसे विदाई हो गई !
कहते है ये बधन है भाई बहन के प्यार का,
प्रीत के धागो के बंधन में,स्नेह का उमड़ रहा संसार
प्रीत के धागो के बंधन में,
स्नेह का उमड़ रहा संसार,
सारे जग में सबसे सच्चा,
होता भाई बहन का प्यार,
नन्हे भैया का है कहना,
राखी बांधो प्यारी बहना
सावन की मस्तीली फुहार,
मधुरिम संगीत सुनती है,
मेघों की ढोल ताप पर,
वसुंधरा मुस्काती है
आया सावन का महीना,
राखी बांधो प्यारी बहना.
धरती ने चाँद मामा को.
इंद्रधनुषी राखी पहनाई,
बिजली चमकी खुशियों से,
रिमझिम जी ने झड़ी लगाई..
राजी ख़ुशी सदा तुम रहना,
राखी बाँधों प्यारी बहना.
एक नही कई रिश्तो का,रक्षाबधन रखवाला है
कभी द्रौपदी का रक्षक,
तो कभी इंद्र जयमाला है।
एक नही कई रिश्तो का,
रक्षाबधन रखवाला है।।
सकट की अग्नि मे जब,
भाई का जीवन तपता है।
स्नेह बध से वशीभूत
बहना का हृदय तड़पता है।
मा,पत्नी और सखा रूप मेँ,
प्रेम सरस का प्याला है।
एक नही कई रिश्तो का,
रक्षाबधन रखवाला है।
कच्चें धागों की पतली डोर हैं राखी
कच्चें धागों की पतली डोर हैं राखी
प्यार और मीठी शरारतो की जोड़ हैं राखी
भाई की लम्बी उम्रः की दुआ है राखी
बहिन के प्यार का पवित्र धुआ हैं राखी
भाई बहन की रक्षा का वादा हैं राखी
एकपाठ पढ़ाती नूर है राखी
बचपन की यादों का चित्रहार है राखी
हर घर में खुशियों का उपहार है राखी
रिश्तों के मीठेपन का अहसास है राखी
भाई बहन का परस्पर विश्वास है राखी
दिल का सुकून और मीठा सा जज्बात है राखी
शब्दों की नहीं पवित्र दिलों की बात हैं राखी
बचपन का भोलापन याद दिलाता है
हाथ में बंधा कोमल रेशम की डोर
बचपन का भोलापन याद दिलाता है
वो जिद्द वो झगड़ा
वो हर सामान पर अपना हक जमाना
वो मिठाई के बड़ा टुकड़ा पर नजर टिकाना
वो छोटी छोटी बातों में रूठना
फिर किसी के खुशामत का इन्तजार करना
बड़े हुए समय समाज के गुलाम हो गये
शरारत जिद्द की जगह राखी में प्यार बंधने लगे
रक्षा बंधन पर वो निष्छल प्यार दिला दो
फिर से रूठ जाए और वो पल में मना ले
भाई बहन का शुभ दिन है आज
भाई बहन का शुभ दिन है आज
कलाई पर सजा है राखी का ताज
बहना की आँखों में है बहुत प्यार
भाई के हाथों मिलेगा आज उपहार
रक्षा करेगा भाई देता है वचन
यूं ही साथ रहेंगे हर जनम
आओ मिलकर खाएं हम मिठाई
रक्षा बंधन की सबको बधाई!
राखी का आज त्यौहार है बहन भाई के लिए बहुत खास है
राखी का आज त्यौहार है
बहन भाई के लिए बहुत खास है
लाया खुशियों की बहार है
रेशम के धागे से बंधा प्यार है।
बहनें आज भाइयों को
कुमकुम का तिलक लगाती हैं
अपने प्यारे हाथों से
भाई को मिठाई खिलाती है।
भाई की सूनी कलाई पर
रेशम का धागा बांधती है
बदले में भाई से रक्षा का
अनमोल वायदा पाती है।
भाई भी सुंदर सुंदर तोहफे
बहनों के लिए लाते हैं
तोहफे में क्या मिलने वाला है
बहनें उत्सुक रहती हैं।
बहनें भी भाई की
सलामती की दुआ करती है
खुश रहो तुम सदा भैया
यही प्रार्थना करती है।
बहन भाई का एक दूसरे पर
होता अटूट विश्वास है
रेशम के धागे से ये
बंधा हुआ त्यौहार है।
बाज़ारों में राखी सजी हैअपनी भी कलाई में सजाने दो
बाज़ारों में राखी सजी है
अपनी भी कलाई में सजाने दो
रौनक हर जगह दिख रही है
मुझे भी उत्सव मानाने दो
नहीं चाहिय मेवे और उपहार बदले में
तुम बस रक्षा का वचन निभावो ना
भैया तुम आ जाओं ना
आओ मुझ को तिलक लगाने दो
मैंने फिर से पूजा की थाली सजाई है
देखो मैंने पसंद की बुंदिया बनाई है
साथ में मिठाई और लड्डू है
नहीं है इस बार कोई शिकायत तुमसे
तुम भी मन का बैर मिटाओ ना
भैया तुम आ जाओं ना
दीदी, कभी भोर, कभी मिट्टी,कभी बारिश बन कर आओ,
दीदी जब सावन में,
काली मिट्टी पर उग आए,
हरे पौधों को देखता हूँ,
तो मेरी साँवली कलाई पर,
हरे रंग का रेशम,
खुद ब खुद,उग आता है,
मैं अपने माथे पर,
सुर्ख रोली ढूँढता हूँ,
और,
जब सहर आसमाँ के माथे पर,
वही लाल रोली मलती है,
तो हल्का-सा टीका मुझे भी,
लगा जाती है!!
बरसात जब बूँदों का अक्षत,
मेरे सर पर छिड़कती है,
तो मैं होश में आता हूँ,
और,
सूनी कलाई, सूनी दुनिया,
सूना माथा पाता हूँ!!
दीदी, कभी भोर, कभी मिट्टी,
कभी बारिश बन कर आओ,
शायद मैं अकेला हूँ,
मुझे साथ ले जाओ…
राखी आयी बहनों ने चौक बनाया
राखी आयी बहनों ने चौक बनाया
सज धज कर भाई संग में राखी लाया
चौक पर अपने भाई को बिठया
भाई ने अपने हाथ में शौक से राखी बंधवाया
माथे पर अक्छत और तिलक लगाया
उसके बाद जमकर खूब रसगुल्ला खिलाया
बहन के स्नेह को देखकर भाई मंद -मंद मुस्काया
दीप जलाकर थाल सजाकर उतारी भाई की आरती
भाई की ले लूं मैं सारी बलाएं ऐसी है बस मनोकामनाएं
मेरा भाई जहाँ रहे घर – बार उसका सदा बना रहे
ईश्वर से सदा ही है ये मनोकामनाएं
रक्षाबंधन है बहन -भाई का त्यौहार
आओ धूम -धाम से मनाएं यार
मेरे प्यारे भैया इस बार राखी में तुम जरूर आना
मेरे प्यारे भैया इस बार
राखी में तुम जरूर आना
रोली चंदन फूल दिया और बाती
थाल सजाकर लाएगी ये बहना
एक राखी का त्यौहार ही साथ में
लाता प्यार का गहना
घर में सब खुशियां मनाते
बाजे बजाते और गाते गाना
लड्डू मिठाई और पकवान बनाते
सब मिलकर फिर खूब खाते
भाई -बहन फिर धूम मचाते
संग में फिर खूब पतंग उड़ाते
भाई -बहन का ये प्यारा त्यौहार
लाये खुशियों और उमंगों की बहार !!!
तेरे बिन घर सूना सूना लगता है
ना कोई राज है ना कोई साज है
उसके मुख में कोयल सी राग है
जब तू बोलती है भैया
तब पुरे दिन की थकान उतर जाती है
तू लड़ती है तो भी अच्छा लगता है
तेरे बिन घर सूना सूना लगता है
तू है सच्चे रिश्तो की पहचान
तुझ बिन नहीं रक्षाबंधन का त्यौहार
बहती गंगा सी है तू जहां भी जाती है
कर देती है उस घर को हरा भरा
भर देती झोली आनंद और ऐश्वर्य से
खोल देती है तो किस्मत के ताले
याद बहुत आती है तेरी लेकिन कह नहीं पाता।
रो लेता हूं कभी अगर सह नहीं पाता।
आजा मेरी बहना इस रक्षाबंधन
राखी बांधने के बहाने
अब बिन देखे तुझको रहा नहीं जाता।
बंधन तो मन के होते हैं पूरे जीवन के होते हैं
बंधन तो मन के होते हैं
पूरे जीवन के होते हैं
जैसे शचि का मध्वन से था
या रघुबीर का लखन से था
कृष्ण का श्याम किशन से था
मन के सब बंधन होते हैं
भाई को बहन सूत्र बांधे
भाई तरुवर को बांधे
मानव हर जीवन को बांधे
यह रक्षाबंधन होते हैं
हम तरुऔ को जीवन देंगे
वे हमको ऑक्सीजन देंगे
आशीष हमें हर क्षण देंगे
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में हो सच्चे भाई
बंगले झांके सब दंगाई
रिश्ते कंचन से होते हैं
बंधन तो मन के होते है
कहना है ये प्यारे भाई का कहना रक्षा की राखी बांधो मेरी बहना
बंधन है ये प्रीत के धागे का
प्यार और स्नेह का उमड़ रहा इसमें संसार
पूरे जग में सबसे सच्चा भाई -बहन का ये त्यौहार
कहना है ये प्यारे भाई का कहना
रक्षा की राखी बांधो मेरी बहना
सावन लायी मस्तानी फुहार
कोयल मधुर गीत सुनती है
मेघ की मधुर सुर और ताल पर
सावन का ये मास आया
राखी का त्यौहार लाया
धरती ने भी खूब मनाया
राखी का ये त्यौहार
इंद्र धनुष की राखी बंधी
चंदा मामा के हाथों में यार
आओ भैया आओ बहना मिलकर
मनाएं राखी का यह त्यौहार
चुपके से गर्ल फ्रेंड के सारे राज उगलवाती है
बचपन में चाहे कितना भी चिढाती हो
पापा से रोज कुटाई भी करवाती है
लेकिन जिस दिन
उसकी विदाई की गाड़ी जाती है
अन्दर एक दुनिया खत्म हो जाती है
भाई को भले निठल्ला बताती है
माँ को भी पक्षपाती दिखाती है
लेकिन जिस दिन खुद माँ बन जाए
बेटे को मामा जैसा ही बनाती है
चुपके से गर्ल फ्रेंड के सारे राज उगलवाती है
और हमारे एक-एक दोस्त को आवारा बताती है
लेकिन जिस दिन कोई लड़का पीछे पड़ जाए
उन्ही आवारा दोस्तों से पिटवाती है
माइके में मेरी कमियाँ बताती है
और ससुराल में मेरी खूबिया गिनाती है
बड़ी कमाल होती है बहने
जिसकी नहीं होती ना उसे ही कदर आती है
कई बार हफ्तों उससे बात नहीं हो पाती है
कई दिन तो उसकी याद तक नहीं आती है
मगर दुनिया मेंकही भी हो भाई
लेकिन आज के दिन उसकी राखी जरुर आती है
दोस्तों हम आशा करते है की आप सभी लोगो को ये कविता संग्रह “Best Raksha Bandhan Poem in Hindi “
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